कल जब तुम हमसे दूर हुए !
हम बिछुड़ने को मजबूर हुए !!
तुम उस पार हुए हम इस पार हुए !
तुम उधर बैचैन हुए हम इधर बेचैन हुए !!
चाँद और तारे नजदीक हुए !
पर तुम ही हमसे दूर हुए !!
इन नैनो ने आंशु छलकाए !
जब तुम नजरो से दूर हुए !!
भारी मन से विदा करने को !
हम कितने मजबूर हुए !!
मजबूर थे तुम मजबूर थे हम !
कुछ कह न सके कुछ कर न सके !!
ना हम तब आगे बढ़ ही सके !
ना तुम तब वापस आही सके !!
अब फिर तुम कब वापस आओगे !
कब आस का दिप जलाओगे !!
बहुत ही अच्छा लिखा है.....
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुती!