Tuesday 10 May 2011

भागवान का ईमेल ईड

भारतीय संस्कर्ति की जो ऊंचाई है ,गंगा की जो पवित्रता है उनका हम दर्शन कर रहे है !
भारत इसलिए महान नहीं की भारत के पास मुम्बई की चोपाटी है ! दिल्ली का लाल किला  है !भारत इसलिए महान नहीं है उसके पास बंगलोर मद्रास कलकाता जैसे बड़े -बड़े शहर है ,बल्कि भारत इसलिए महान है की गंगा इस देश के पास है ,हिमालय इस देश के पास है भारत इसलिए महान है की उसकी पवित्रता और ऊंचाई 
छुनेवाले संत इसके पास है !
                                            जिस देश मे इंसानियत की गंगा बहती हो ,जिस देश मे हिमालय जैसे ऊंचाईवाले आदर्श का उदघोष होता हो जिस देश मे वेद-उपनिषद की गंगा बहती हो कर्म ज्ञान और भक्ति की त्रिवेणी पर्वाहित होती हो ! इसलिए ये देश महान है 
                                           आज इस पवित्र धरा पर बैठकर हम देखते है की जब ऐसे महापुरुष पधारते है तो 
 वह स्थल तीर्थ बन जाता है !ऐसे दिव्य महापुरुष  जहा बैठ जाते है वही तीर्थ बन जाता है !                                             इसलिए हम लोग बड़े भाग्यशाली है की ऐसे दिव्य महापुरुषों के सान्निध्य मे बैठकर उस पवित्रता का उस दिव्यता का उस आध्यत्मिकता का हम सब दर्शन कर रहे है आज इन्टरनेट के माध्यम से हम लोग जुड़ते चले जा रहे है! पुरी दुनिया से इन्टरनेट जरुर आपको  जोड़ता है लेकिन एक और इन्टरनेट की जरुरत है जो विशवपति से जोड़ता है ! ये कथा ये महापुरुष इनके पवित्र चरणों की रज ही हमको 
वाह ले जा सकती है !                                                  
                                                                            




 ये दिव्य कथा जो हमको संसार मै शोक प्रूफ बनती है ,जितने भी शोक हो उसको अशोक बना देती है !हिमालय की वादियों मै जब हम सैर करने के लिए जाते है तो कई बार देखने को मिलाता है गर्मी के मोसम मे छोटी-छोटी चींटिया लाखो की संख्या मे चलती हुई जा रही है और ध्यान से देखने से पता लगता है की चटान के बिच मै उन्होंने अपना घर बनाया है छोटी सी चींटी छोटा सा उसका मुंह लेकिन ये चींटिया चटान मै भी अपना घर बना लेती है और एक हम है जो इन्सान के दिल मै भी अपना घर नहीं बना पाते ! 
                                         मेरे इस लेख की फलश्रुति यह है की हम सदभाव के ,भाईचारे के प्यार के फूल खिलाये तो ही हमारी कथा सुनना सार्थक होगा !


                




इस लिए बस जब भी मिले, जिससे भी मिले,दिल खोलकर के मिले ना जाने किस गली मे जिंदगी की शाम हो जाये ?

 क्या करगा प्यार वो भगवान को !
              क्या करेगा प्यार वो इमान को !! 
 जन्म लेकर इन्सान का जो !
              कर ना सका प्यार इन्सान को !!    

                                                                                                                

4 comments:

  1. बहुत सुंदर पोस्ट..... सार्थक ख्याल समेटे

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  2. बहुत सुंदर पोस्ट.

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  3. शानदार और लाजवाब पोस्ट! उम्दा प्रस्तुती!

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