Thursday 26 May 2011

जरा देर से आने की आदत है

अभी ना मुझे दफनाओ यारो मेरे दोसत को 
                                      जरा देर से आने की आदत है  !
 अभी ना डालो मेरे चहरे पे कफ़न उन्हें  ये चहरा  
                                      देख कर मुस्कराने की आदत है !!


बरक की तरह जिंदगी मै आता जाता कौन है !
                            शबर मेरा हर घडी आजमाता कौन है !!
हम हँसे ये होसला है हमारा वरना मुरदा शहर मै !
                             जब हंसी ही जुलम हो हँसता हँसाता कौन है !!
बेवफाई मौत की देखी तो आशीक हो गए !
                                रूठ जा ऐ जिंदगी तुझे अब मनाता कौन है !!

8 comments:

  1. वाह ...बहुत खूब ।

    ReplyDelete
  2. बेवफाई मौत की देखी तो आशीक हो गए
    रूठ जा ऐ जिंदगी तुझे अब मनाता कौन है

    बहुत तीखी भावनाएँ हैं एक गंभीर विषय के प्रति. सुंदर.

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति। धन्यवाद|

    ReplyDelete
  4. आप सभी का धन्यवाद् आपने अपने कीमती समय मे से कुछ समय मुझे दीया आभार !

    ReplyDelete